27 दिसंबर 1954 में सरबरू जिले के अहमदगढ़ (पंजाब) में श्री रामेश्वर दास जी तथा श्रीमती सुशीला देवी के यहां श्री राकेश जी का जन्म हुआ। परिवार के लोग संघ से जुड़े हुए थे तो राकेश जी भी संघ शाखा कार्य में बहुत सक्रिय थे।1973 में अबोहर में उन्होंने प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग किया था।
जब देश पर विपत्ति के बादल छा रहे थे और देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी तब उस आपातकाल में चंडीगढ़ के पास सोहाना में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। उसमें बोलने के लिए इंदिरा गांधी जैसे ही खड़ी हुईं, पूर्व विधायक श्री ओमप्रकाश भारद्वाज तथा राकेश जी के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह कर दिया। पूरा पंडाल भारत माता की जय, तानाशाही खत्म करो..आदि नारों से गंूज उठा। तब पुलिस वाले उन पर लाठी बरसाने लगे। घुड़सवार पुलिस ने सत्याग्रहियों पर घोड़े दौड़ा दिये। जिसमे अनेकों स्वयंसेवक घायल हो गए।
उस समय पुलिस ने सत्याग्रहयों को गिरफ्तार कर लिया और फिर उन्होंने 9 महीने के लिए पटियाला जेल भेज दिया गया था। राकेश जी ने जेल में रहते हुए ही अर्थशास्त्र में M.A किया था फिर प्रचारक बन गए उनको क्रमश पठानकोट तहसील प्रचारक गुरदासपुर जिला,अमृतसर विभाग,संभाग और फिर पंजाब के सह प्रांत प्रचारक बने।
तत्पश्चात श्री राकेश जी को जम्मू कश्मीर के प्रांत प्रचारक के रूप में दायित्व मिला। उन्होंने आतंक, हत्या और पलायन के दौर में विस्थापितों की सेवा और व्यवस्था का उल्लेखनीय काम किया। उनका अधिकांश कार्यक्षेत्र सीमावर्ती क्षेत्र ही था तो उन्हें सीमावर्ती क्षेत्र में होने वाले विदेशी और विधर्मी गतिविधियों का गहन अध्ययन किया । जब यह बात संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के सामने रखी गई, तो उन्होंने इसके लिए एक अलग संगठन “सीमा जागरण मंच” बनाकर इसकी जिम्मेदारी राकेश जी को ही दे दी।
अनामिक रहने की इच्छा रखने वाले श्री राकेश जी प्राय: ही रेल में साधारण श्रेणी में यात्रा करते थे। फौजी टोपी तथा बड़ी-बड़ी मूछें उन पर खूब फबती थी। इससे कई लोग उन्हें कोई पूर्व सैन्य अधिकारी समझते थे। सरल स्वभाव तथा मधुर व्यक्तित्व वाले श्री राकेश जी सभी कार्यकर्ताओ के लिए एक अनुठे उदाहरण थे।
12 जून 2014 को राजस्थान में जैसलमेर से जोधपुर के बीच सोढाकोर गांव रस्ते से जा रहे थे तभी जो पहिया वाहन का पिछला टायर फट गया जिससे गाड़ी कई बार पलट गई, इस दुर्घटना में राकेश जी तथा कार चला रहे जैसलमेर जिले के संगठन मंत्री श्री भीक सिंह जी का वही निधन हो गया। एक अन्य कार्यकर्ता श्री नीम सिंह पूरी तरह घायल हो गए। एक स्वर्णिम अध्याय का वहीं अंत हुआ राष्ट्रयज्ञ करते हुए भारत माता के लाल ने उस दिन अपनी आंखें हमेशा हमेशा के लिए मूंद ली। ऐसे प्रेरणास्त्रोत राकेश जी को हम सब कोटि-कोटि नमन करते है।
- विदित रहे कि आरएसएस का मूल आदर्श देश की रक्षा करना और देश की अखंडता को बनाए रखना है। इसके लिए कई वैधानिक नीतियां भी बनाई गई हैं, जिनका पालन आरएसएस की स्थापना के समय से किया जा रहा है। उन्हीं आदर्शों का एक तथ्य प्रस्तुत है- प.पू सरसंघचालक जी ने अपने एक वक्तव्य में एक कथा की चर्चा करते हुए कहा था कि जब संत श्री ज्ञानेश्वरदास जी ने अपने भगवत गीता की इतिश्री कि तो उन्होंने भगवान से वरदान मांगा था कि “जो चंद्रमा है लेकिन कलंकित नहीं है जो सूर्य जैसे हैं लेकिन जिनका ताप किसी को नहीं लगता है। सबके साथ सज्जन जैसा व्यवहार करने वाले सबके लिए काम आने वाले, ऐसे ईश्वर निष्ठ लोगों की मंडली पृथ्वी पर सदैव उपलब्ध रहे” उनके वरदान को सत्यार्थ करती बात अपने भारत में अनेकों वर्षों से किसी न किसी रूप में चलती आई है अपने संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में भी ऐसी परंपरा है, व्यवस्था में उसका नाम प्रचारक है। ऐसे ईश्वर निष्ठ प्रचारकों को देश बारंबार प्रणाम करता है।