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Posted on : 11-March-2024 15:03:40 Writer : टीम - सीमा संघोष
कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए लोकसभा में अधीनस्थ कानून पर संसदीय समिति की तरफ से एक और विस्तार मिला था। पहले के सेवा विस्तार की अवधि नौ जनवरी को खत्म हो गई थी। सीएए के नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को सातवीं बार विस्तार प्रदान किया गया था। इससे पहले राज्यसभा से भी गृह मंत्रालय को उक्त विषय पर नियम बनाने व लागू कराने के लिए 6 महीने का विस्तार मिला था।
सीएए नियमों के तहत ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन मांगे गए थे। इस प्रक्रिया का काम पूरा हो चुका है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान शामिल हैं, से आए गैर मुस्लिम प्रवासी लोगों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान हो जाएंगे। इन छह समुदायों में हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी, शामिल हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी।
सीएए, किसी व्यक्ति को खुद नागरिकता नहीं देता है। इसके जरिए पात्र व्यक्ति, आवेदन करने के योग्य बनता है। यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इसमें प्रवासियों को वह अवधि साबित करनी होगी कि वे इतने समय में भारत में रह चुके हैं। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं। वे लोग उन भाषाओं को बोलते हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उन्हें नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे।