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Posted on : 16-April-2024 07:04:28 Writer : टीम- सीमा संघोष
भारतीय सेना ने स्वदेश निर्मित 'मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम' या टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण शनिवार को राजस्थान में किया गया। देश में ही मेक इन इंडिया अभियान के तहत बने इस मिसाइल सिस्टम को कहीं भी ले जाया जा सकता है। सफल परीक्षण के बाद अब टैंक रोधी मिसाइल सिस्टम के सेना में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस हथियार प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस प्रणाली में एमपीएटीजीएम, लॉन्चर, लक्ष्य प्राप्ति उपकरण और एक अग्नि नियंत्रण इकाई शामिल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टैंक रोधी मिसाइल सिस्टम के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना की प्रशंसा की और इसे आधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित रक्षा प्रणाली के विकास में आत्म-निर्भरता हासिल करने की ओर महत्वपूर्ण कदम बताया।
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को बताया कि उच्च श्रेष्ठता के साथ प्रौद्योगिकी को साबित करने के उद्देश्य से एमपीएटीजी हथियार प्रणाली का कई बार विभिन्न उड़ान परिस्थितियों में मूल्यांकन किया गया। 'इस हथियार प्रणाली का 13 अप्रैल को पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल का प्रदर्शन उल्लेखनीय पाया गया है।' गौरतलब है कि यह टैंक रोधी मिसाइल सिस्टम दिन और रात, दोनों वक्त इस्तेमाल किया जा सकता है। डीआरडीओ अध्यक्ष समीर वी कामत ने इस परीक्षण से जुड़े दलों को बधाई दी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी को उच्च श्रेष्ठता के साथ साबित करने के उद्देश्य से एमपीएटीजी हथियार प्रणाली का कई बार विभिन्न उड़ान विन्यासों में मूल्यांकन किया गया है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 13 अप्रैल को पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में वारहेड उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। मिसाइल प्रदर्शन और वारहेड प्रदर्शन उल्लेखनीय पाए गए।
इसमें कहा गया है कि पर्याप्त संख्या में मिसाइल फायरिंग परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं। एमपीएटीजीएम के टेंडेम वारहेड सिस्टम का प्रवेश परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। यह आधुनिक कवच संरक्षित मुख्य युद्धक टैंकों को हराने में सक्षम पाया गया है। हथियार प्रणाली दिन और रात दोनों में संचालन के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है।
डुएल मोड कार्यक्षमता टैंक युद्ध के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ प्रौद्योगिकी विकास और सफल प्रदर्शन संपन्न हो गया है। यह प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने की दिशा में अंतिम उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षणों के लिए तैयार है। डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने परीक्षणों से जुड़ी टीमों को बधाई दी।