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Posted on : 29-February-2024 08:02:50 Writer : टीम- सीमा संघोष
केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के दो और संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (सुमजी गुट) और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (भट गुट) को गैरकानूनी घोषित किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ''आतंकी नेटवर्क पर कड़ा प्रहार जारी रखते हुए सरकार ने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (सुमजी गुट) और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (भट गुट) को गैर-कानूनी संगठन घोषित कर दिया है।''
जम्मू कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी पारिस्थितिकी तंत्र के समूल नाश के अपने अभियान को जारी रखते हुए केंद्र सरकार ने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर के दोनों गुटों को प्रतिबंधित कर दिया है। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के एक गुट का नेतृत्व प्रो अब्दुल गनी बट करते हैं और दूसरे गुट की कमान गुलाम नबी सुमजी ने संभाल रखी है। अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर जम्मू कश्मीर में बीते पांच वर्ष में प्रतिबंधित होने वाला मुस्लिम कॉन्फ्रेंस पांचवा अलगाववादी संगठन है। गुलाम नबी सुमजी एक पूर्व विधायक हैं।
केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में जमाते इस्लामी जम्मू कश्मीर के अलावा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध लगाया था। बीते वर्ष जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी और उसके बाद मसर्रत आलम के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग को गैर कानूनी घोषित किया गया है। जमाते इस्लामी पर गत मंगलवार को ही प्रतिबंध को अगले पांच वर्ष के लिए विस्तार दिया गया है।
आतंकवादी नेटवर्क पर हमला करते हुए सरकार ने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू व कश्मीर (सुमजी गुट) और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू व कश्मीर (बट गुट) को गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। यह दोनों संगठन राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में संलग्न रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर को जम्मू कश्मीर के सबसे पुराने मुस्लिम राजनीतिक संगठनों में एक माना जाता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने भी अपना राजनीतिक कैरियर इसी संगठन से शुरू किया था। बाद में उन्होंने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस से अलग हो नेशनल कॉन्फ्रेंस बनाई ताकि उसमें जम्मू कश्मीर में रहने वाले हिंदू सिख व अन्य समुदायों में भी शामिल किया जा सके। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस शुरु से ही जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान विलय की समर्थक रही।