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Posted on : 11-March-2024 02:03:04 Writer : टीम - सीमा संघोष
भारत में अवैध रूप से घुसे घुसपैठिए रोहिंग्याओं का पहला जत्था म्यांमार वापस भेज दिया गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरन सिंह ने एक्स पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। साल 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद सैकड़ों रोहिंग्या अवैध रूप से भारतीय राज्यों में घुस आए थे। इनके कारण भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलने का खतरा बना हुआ था।
यह जानकारी पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरन सिंह ने एक्स पोस्ट कर दी। इस दौरान उन्होंने रोहिंग्याओं को वैन से एयरपोर्ट ले जाने का वीडियो भी साझा किया।
बता दें कि गत माह भारत ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा समेत सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर म्यांमार के साथ दशकों पुरानी वीजा मुक्त आवाजाही नीति को समाप्त करने की घोषणा की थी। इसके कुछ दिन बाद ही गृह मंत्री अमित शाह ने म्यांमार के साथ लगने वाली 1643 किमी सीमा पर बाड़ लगाने की घोषणा की थी।
रोहिंग्या एक जातीय समुदाय है, जिसमें अधिकतर मुस्लिम हैं और सुन्नी इस्लाम मानते हैं। ये रखाइन राज्य में रहते हैं। रखाइन म्यांमार के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। ताजा पलायन से पहले, एक अनुमान के मुताबिक रखाइन में 10 लाख रोहिंग्या रह रहे थे, लेकिन इसके बावजूद वे राज्य में अल्पसंख्यक थे। इस समुदाय की अपनी भाषा और संस्कृति है। कुछ लोग रोहिंग्या की उत्पत्ति 15वीं सदी से बताते हैं। 'रोहिंग्या' शब्द रोहांग से बना है जो कि 'अराकन' से निकला है।
सन् 1962 में म्यांमार के अंदर तख्तापलट के बाद से आई सरकारों ने लगातार रोहिंग्याओं के अधिकार सीमित करने शुरू कर दिए थे। साल 1982 में एक रोहिंग्याओं को देश का नागरिक न मानने वाला एक कानून पास किया गया। इस कानून की वजह से रोहिंग्या स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं और देश में कहीं भी आने-जाने के अधिकार से वंचित रह गए। एक समय पर रखाइन में सरकार ने सिर्फ दो बच्चे पैदा करने वाली नीति तक लागू कर दी और अंतर्जातीय विवाह पर रोक लगा दी थी।