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पाकिस्तान के JF-17 को ताकत देने वाला जेट इंजन अब भारत में बनेगा, HAL को मिला कॉन्ट्रैक्ट

Posted on : 23-March-2024 07:03:20 Writer : टीम - सीमा संघोष


पाकिस्तान के JF-17 को ताकत देने वाला जेट इंजन अब भारत में बनेगा, HAL को मिला कॉन्ट्रैक्ट

भारत पाकिस्तानी लड़ाकू विमान जेएफ-17 को शक्ति देने वाले इंजन का निर्माण करने जा रहा है। आरडी-33 नाम के इस जेट इंजन को रूस ने विकसित किया है। अब भारत को इस इंजन के लाइसेंस के तहत निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। हालांकि, भारत में बनने वाले आरडी-33 इंजन को मिग-29 लड़ाकू विमान के लिए बनाया जा रहा है।


भारत के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमानों को शक्ति देने वाला इंजन विकसित करना चुनौतीपूर्ण लग रहा है। हालांकि, रूस के साथ एक समझौते के बाद भारत जल्द ही आरडी-33 इंजन का निर्माण शुरू करेगा। ये इंजन भारतीय वायु सेना के मिग-29 बेड़े कोशक्ति देगा। इससे मिग-29 लड़ाकू विमानों की ऑपरेशनल लाइफ बढ़ जाएगी। आरडी-33 इंजन का एक प्रकार पाकिस्तान के जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान को ताकत प्रदान करता है। जेएफ-17 को पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स और चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। जेएफ-17 एक हल्का, बहुउद्देश्यीय और सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है।



एचएएल को मिला 5,249.72 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट


1 मार्च को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को RD-33 इंजन के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय से 5,249.72 करोड़ ($650M) का अनुबंध प्राप्त हुआ था। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''इन एयरो इंजनों का उत्पादन एचएएल के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया जाएगा। उम्मीद है कि ये एयरो इंजन मिग-29 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की आवश्यकता को पूरा करेंगे। इंजनों का उत्पादन रूसी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) लाइसेंस के तहत भारत में किया जाएगा।


भारत के मिग-29 को मिलेगी ताकत


बयान में कहा गया है कि यह कार्यक्रम कई हाई वैल्यू वाले महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आरडी- 33 एयरो-इंजन के भविष्य के मरम्मत और ओवरहाल (आरओएच) में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में मदद करेगा। एचएएल को भारतीय वायुसेना के मिकोयान-गुरेविच मिग-29 लड़ाकू विमानों के लिए 100 से अधिक क्लिमोव आरडी-33 इंजन बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिला है। इससे पहले एचएएल इन इंजनों को सिर्फ असेंबल करता रहा है। विमान इंजन के क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग का एक लंबा इतिहास है और यह लगातार आगे बढ़ रहा है।


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