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Posted on : 16-April-2024 07:04:33 Writer : टीम- सीमा संघोष
बीआरओ ने पिछले तीन सालों में 8,737 करोड़ रुपे की लागत से 330 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है और चीन के साथ विवादित सीमा पर भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक गतिशीलता में काफी सुधार किया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के बीच भारत न्योमा एयरबेस का काम तेजी से कर रहा है और अक्टूबर के महीने तक ये काम पूरा भी हो जाएगा। चीन की चालों का भारत उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है. इस एयरबेस का काम जल्दी पूरा करने के लिए शिफ्टों में काम चल रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 218 करोड़ रुपये की इस परियोजना की आधारशिला पिछले सितंबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी थी और इसका नेतृत्व बीआरओ महिला अधिकारियों के एक दल करता है। राजनाथ सिंह ने उस समय कहा था कि न्योमा एयरबेस सशस्त्र बलों के लिए "गेम-चेंजर" होगा।
सितंबर 2023 में बीआरओ प्रमुख का पदभार संभालने वाले श्रीनिवासन ने कहा कि न्योमा एयरबेस का काम अगले साल के अंत तक तैयार हो जाएगा। इस एयरबेस पर बुनियादी ढांचा, हैंगर सहित हवाई यातायात नियंत्रण भवन और हार्ड लैंडिंग (वाहनों और विमानों की पार्किंग के लिए कठोर सतह वाले क्षेत्र) जैसी सुविधाएं होंगीं। उन्होंने कहा, "यह लद्दाख सेक्टर में बीआरओ द्वारा क्रियान्वित की जा रही सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। " एलएसी से 23 किमी दूर 13,700 फीट की ऊंचाई पर चल रहे इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व महिला कॉम्बैट इंजीनियर कर्नल पोनुंग डोमिंग कर रही हैं।
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद दशकों तक न्योमा हवाई पट्टी उपयोग से बाहर थी, इससे पहले सितंबर 2009 में भारतीय वायुसेना ने इसे फिर से सक्रिय किया और पहली बार वहां एक एएन-32 परिवहन विमान उतारा। भारतीय वायुसेना ने चीन के साथ चल रहे एलएसी विवाद सहित सेना की आगे की तैनाती के समर्थन में अपने C-130J विशेष अभियान विमान, AN-32 और हेलीकॉप्टरों को न्योमा से संचालित किया है।
सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के पूर्व महानिदेशक एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) ने कहा, न्योमा लेह की तुलना में बेहतर और समतल घाटी में है और एलएसी के करीब है, और इस प्रकार यह भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू और परिवहन संचालन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण एयरबेस साबित होगा।