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Posted on :
23-August-2022 17:08:08 Writer :
वर्षा सेजू
स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने वाले कुछ ऐसे व्यक्तित्व जिनकी हमें अधिक जानकारी नही है, आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राजस्थान पत्रिका द्वारा प्रकाशित कुछ ऐसे ही व्यक्तित्व पर विशेष लेख।
आजादी का ऐसा जुनून ,
जगदीश प्रसाद वत्स
1942 के बाद आजादी का संग्राम गति ले रहा था| बूढ़े ,बच्चे ,जवान सभी के मन में आजादी का ज्वर उठ रहा था| उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के गांव खुजरी अकबरपुर के 17 वर्षीय जगदीश प्रसाद वत्स भी ऐसे ही क्रांतिकारी थे|
कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने स्वतंत्रता का बिगुल बजाया | 13 अगस्त की रात को हॉस्टल में सभी साथियों के साथ यह तय किया गया कि 14 अगस्त की सुबह हर कीमत पर इंकबाल के नारों के साथ तिरंगा फहराएंगे|
14 अगस्त की सुबह जगदीश प्रसाद वत्स अपने हॉस्टल के छात्रों के साथ हरिद्वार की सड़कों पर निकल पड़े ,पुलिस की मौजूदगी के बावजूद उन्होंने सुभाष घाट पर झंडा फहराया तो अंग्रेज पुलिस की एक गोली जगदीश की बांह को चीरती हुई निकली, वत्स ने अपनी धोती फाड़कर घाव पर बांधी और दूसरा तिरंगा लेकर दौड़े जिसे डाकघर पर फहरा दिया |
यहां फिर पुलिस ने गोली चलाई जो इस बार जगदीश के पैर पर लगी |वह लहूलुहान हो गए परंतु हिम्मत नहीं हारी एक बार फिर अपनी धोती फाड़ कर उन्होंने अपने पैर पर बांधी और तीसरा झंडा लेकर एक पाइप के सहारे चढ़कर रेलवे स्टेशन पर फहरा दिया, तभी अचानक नीचे उतर ही रहे थे कि अंग्रेज पुलिस ने उनके सीने में गोली मार दी| उन्हें अपने बाकी दोस्तों के द्वारा अस्पताल भर्ती करवाया गया |
ऐसा कहा जाता है कि अस्पताल में जब उन्हें होश आया तो अंग्रेज पुलिस ने उनसे माफी मांगने के लिए कहा परंतु असहनीय पीड़ा के बावजूद उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया | इसके बाद जगदीश को कथित रूप से जहर का इंजेक्शन देकर उनकी जान ले ली |
भारत के ऐसे वीर नायक को झंडा फहराने पर गोलियों से दाग दिया गया था जगदीश प्रसाद वत्स ऐसे वीर थे, जिन्होंने अपने शरीर पर तीन गोलियां खाने के बाद भी स्वतंत्रता की गाथा गाना बंद नहीं किया “ सलाम ऐसे वीर को सर फक्र से उठ जाता है जब-जब तिरंगा लहराता है “ !
वर्षा सेजू ( संकलनकर्ता)