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बदलता मानसून बदलती तस्वीर

Posted on : 03-June-2022 17:06:24 Writer : देवेन्द्र देव


बदलता मानसून बदलती तस्वीर


बदलता मानसून बदलती तस्वीर


भारत में राजस्थान प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर विभिन्न प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियां पाई जाती है कहीं पर सुदूर रेगिस्तान तो कई हरि भरी पहाडयुक्त जल से अलंकृत भूमि है हालांकि यह राजस्थान का एक गौरवशाली गुण रहा है कि यहां पर पग पग पर भौगोलिक परिस्थितियों से लेकर संस्कृति तक बदलती है विभिन्नता में एकता यही राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान है


हाल ही के वर्षों में यह देखा गया है कि जहां पर पहले अच्छी वर्षा होती थी अब वहां पर औसत से कम वर्षा होने लगी है और जहां पर पहले कम वर्षा होती थी अब वहा औसत से कुछ ज्यादा वर्षा होने लगी है


पर्यावरण विदों की नजर में इसके बहुत से कारण हैं उनमें से कुछ कारणों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है


महाराजा गंगा सिंह जी के अथक भागीरथी प्रयासों से हिमालय का पानी राजस्थान की भूमि में आने के बाद से गंगानगर बीकानेर और पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्रों में बहुत सुधार हुआ और लोगों का पर्यावरण के प्रति जुड़ाव भी एक महत्वपूर्ण कारण बना है  लोग प्रकृति के संरक्षण के प्रति जागरूक हुए हैं जिससे भूमि के उपजाऊ पन की क्षमता में भी वृद्धि हुई है और वन संपदा में भी काफी बढ़ोतरी हुई है जिससे तापमान में और मानसून के तंत्र में भी बहुत सुधार हुआ है उसी के उलट जिन क्षेत्रों में ज्यादा वर्षा होती थी वहां पर मानवीय तत्वों के अप्राकृतिक खनन से वर्षा तंत्र पर असर पड़ा है जिससे औसत से कम वर्षा होने लगी है


यही बदलाव कहीं पर निकट भविष्य में चिंता का विषय  और कहीं पर खुशहाली की उम्मीद लेकर आया है


वही अगर देश की बात करे तो मानसून आते ही मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे महानगर ही नहीं, बल्कि पटना,भागलपुर, वाराणसी, भोपाल जैसे छोटे शहरों के भी 'पानी-पानी' होने की खबरें सुर्खियां बनने लगती हैं। अब मानसून केवल बारिश नहीं ला रहा, बल्कि महानगरों, शहरों से लेकर कस्बों तक में बाढ़ भी ला रहा है। इससे न केवल भारी वित्तीय क्षति पहुंच रही है, बल्कि कई लोगों को हर साल जान से हाथ भी धोना पड़ता है। नीति आयोग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ की वजह से देश को हर साल औसतन 5,649 करोड़ रुपए और 1,654 मानव जीवन का नुकसान होता है। ऐसे में अगर हमने बाढ़ रोकने के पर्याप्त प्रबंध नहीं किए तो आने वाले सालों में बारिश से होने वाली आपदाएं देश के लिए भारी तबाही ला सकती है। शुरुआत तो हो ही गई है। जानते हैं कि आखिर देश में बाढ़ जैसे हालात क्यों बन रहे हैं और इसका क्या असर हो रहा है।


भारी वर्षा के दिन बढ़ रही हैं , क्योंकि बदल रहा है मानसून…


सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों की माने तो भारत में हर साल होने वाली मानसूनी बारिश की मात्रा में तो वार्षिक रूप से कोई खास फर्क नहीं आया है, लेकिन मानसून के स्वरूप में फर्क जरूर आया है। भारत के वार्षिक वर्षा में जून, जुलाई और सितंबर महीनों में मॉनसूनी बारिश का योगदान घट रहा है जबकि कुछ क्षेत्रों में अगस्त की वर्षा का योगदान बढ़ रहा है। मौसम विभाग द्वारा वर्ष 1989-2018 के बीच वर्षा से जुड़े जिला स्तरीय आकड़ों पर आधारित एक विश्लेषण में बताया गया है कि सौराष्ट्र, दक्षिणी राजस्थान, उत्तरी तमिलनाडु, उत्तरी आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़ के कुछ इलाके, दक्षिणी-पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिजोरम, कोंकण-गोवा एवं उत्तराखंड में ‘भारी वर्षा दिवस’ (एक दिन में 6.5 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश) प्रभावित इलाकों में उल्लेखनीय बढ़त हुई है। मानसून में आ रहे इस बदलाव के कारण जहां मानसून के दौरान बारिश वाले दिनों में कमी आ रही है, वहीं भारी वर्षा वाले दिनों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में एकाएक मूसलाधार बारिश से भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से संबंधित आपदाओं का सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा है। भारतीय महासागर से सटे इलाकों में गंभीर चक्रवाती तूफानों की संख्या में भी कुछ सालों के दौरान काफी इजाफा हुआ है।


कम वर्षा के दिवस' बढ़ रहे हैं , क्योंकि बदल रहा है मानसून…


कई स्तरों पर पर्यावरणीय प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते प्राकृतिक संतुलन लगातार बिगड़ा है. समुद्री चक्रवातों और हवाओं में एक तरफ बढ़ोत्तरी के हालात बने हैं तो दूसरी ओर भूमिगत जलस्तर और नदियों व तालाबों जैसे जलस्रोत सिकुड़ चुके हैं. इन तमाम वजहों से मानसून अस्थिर हो चुका है. सिर्फ मानसून ही नहीं, बल्कि कई बार मौसम का सही आकलन न हो पाने की स्थिति बन चुकी है.


गुजरात की तरफ के अरब सागर से बनती है. इन दोनों ही क्षेत्रों में लगातार स्थिति बदलने के कारण मौसम के मिज़ाज प्रभावित हुआ हैं.जिससे कम वर्षा दिवस मे बढ़ोतरी हो रही है


 फिलहाल कहा जा रहा है कि मानसून सक्रिय है. इस तरह की खबरें भी हैं कि मौसम से जुड़े एप्स भी आपको सही जानकारी या सही अनुमान दे पाने में नाकाम हो रहे हैं. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में मौसम असंतुलित हो चुका है.


सभी बातो को ध्यान मे रखते हुवे‌ इस मानसून काल मे अच्छी वर्षा की उम्मीद संजोए मैं देवेंद्र देव सभी को प्रणाम करता हूं


देवेन्द्र देव


7597945524


 


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