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श्री भादरिया राय माताजी मंदिर

Posted on : 12-April-2022 15:04:45 Writer : Mamta Bhati


श्री भादरिया राय माताजी मंदिर







जैसलमेर से लगभग 80 कि. मी. जोधपुर- जैसलमेर सड़क मार्ग पर धोलिया ग्राम से 6 कि. मी. उत्तर की ओर, जोधपुर - जैसलमेर रेल मार्ग पर लाठी भादरिया स्टेशन से 5 कि. मी. दूर स्थित है।

इस मंदिर में आवड़ माता अपने एक भक्त बहादुरा भाटी, जो कि राव तणु के छोटे भाई थे, की सामान्य जन की तरह से की गई सेवा से प्रसन्न हो कर  वहां पर उसी के नाम से अपनी पहचान स्थापित कर भादरिया राय के नाम से प्रसिद्ध हुई। आवड़ माता का यह मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ है।



साक्ष्यों के आधार पर मामड़िया जी चारण ने संतान प्राप्ति की लालसा से हिंगलाज शक्तिपीठ की यात्रा की थी। माता हिंगलाज के अवतार रूप में विक्रम संवत 808 में आवड़ माता का जन्म हुआ। ये सात  बहिनों और एक भाई के रूप में अवतरित हुए। ये सभी दैवीय चमत्कारों से युक्त थे। इन सातों कन्याओं में सबसे बड़ी कन्या का नाम आवड़ रखा गया। आवड़ देवी की पावन यात्रा और जनकल्याण की अद्भुत घटनाओं के साथ ही सात शक्तिपीठ का निर्माण जैसलमेर में ही अलग अलग स्थानों पर हुआ।आवड़ माता द्वारा शक्ति परिचय देने पर इन  सात शक्तिपीठ में आज भी मेला भरा जाता है। ये सात स्थान क्रमशः इस प्रकार है -

1.माँ तेमड़े राय

2.माँ देग राय

3.माँ घंटियाल राय

4.माँ तनोट राय

5.माँ काले डूंगर राय

6.माँ पन्नोधर राय

7.माँ भादरिया राय।

यह मंदिर 1100 वर्ष से अधिक पुराना है। पहले यह छोटा मंदिर था, महारावल देवराज द्वारा बनाए गए पुराने मंदिर का नया निर्माण महारावल गज सिंह ने 1888 वि.सं.में करवाया था, जैसा शिलालेख मे अंकित है।

इस मंदिर का जीर्णोद्धार महारावल जवाहर सिंह द्वारा पुनः करवाया गया, इसका भी शिलालेख मे उल्लेख है। यह मंदिर एक टीले पर नागर शैली में बना है। मंदिर में काले पत्थर पर आवड़ देवी की सभी बहनों एवं भाई सहित आकृतियां अंकित है।आवड़ देवी मध्य में कमलासन पर पद्मासन लगाए हुए विराजमान है। मूर्ति चार भुजाओं से युक्त, हाथों में चूड़ धारण किए हुए है। प्रथम दाहिने हाथ में त्रिशूल, द्वितीय दाहिने हाथ में माला, बाएं हाथ में खड्ग,द्वितीय बाएं हाथ में कमल का फूल है। गले में मुक्ताहार है। सभी छह बहनों के हाथों मे चूड़ एवम् गले में मुक्ताहार है, और सभी बहनों का दूसरा हाथ एक - दूसरी बहन के कन्धे पर दिया हुआ है। इन देवियों का भाई महिरक्खा बायीं छोर पर है जिनके दाहिने हाथ में चंवर है, जिसे ये आवड़ देवी पर डाल रहे हैं।

पहले मंदिर की देख रेख जैसलमेर राज्य द्वारा की जाती थी, अब जगदम्बा सेवा समिति भादरिया के द्वारा होती है। इस मंदिर  की छटा निराली ही है। अखण्ड ज्योति  प्रज्वलित रहती है। पूजा के पात्र,चंवर छड़ी, त्रिशूल आदि चांदी के हैं। सोने के रत्नजड़ित छत्र हैं।भादरिया राय गौशाला में सहस्त्रों प्रकार के गौ वंश दृष्टव्य है। 50,000 से भी अधिक गौमाता, गौशाला मे रहती हैं। यहाँ का पुस्तकालय एशिया के विस्तृत पुस्तकालयों मे से एक है, जिसमें लगभग 9 लाख पुस्तकें,  562  अलमारियां (cabinets) और 18 कक्ष हैं। भादरिया माता के इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि की सप्तमी पर मेला भरता है। इस प्रकार यह एक रमणीय धार्मिक स्थल है।



                                                                                                    

    डॉ ममता भाटी



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