UPDATED:

Seema Sanghosh

छत्रपति शिवाजी - अजेय एवं पराक्रमी सम्राट

Posted on : 25-February-2022 17:02:15 Writer : डॉ ममता भाटी


छत्रपति शिवाजी - अजेय एवं पराक्रमी सम्राट


      


हिंदू हृदय सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन 19 फरवरी 1630 में पुणे के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। वीर शिवाजी का वास्तविक नाम शिवाजी भोंसले था। शिवाजी अपने समय के अपराजेय योद्धा,आदर्श मातृ भक्त, कुशल सैन्य  संचालक एवं शासक, राज्य निर्माता तथा महान देशभक्त के रूप में जाने जाते हैं। वे अपनी माता जीजाबाई से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने अपनी मां जीजाबाई के मार्गदर्शन से ही मराठा साम्राज्य और हिंदू स्वराज्य की स्थापना की थी। शिवाजी में उत्साह, तत्परता, स्फुर्ति,श्रमशीलता जैसे गुणों का भंडार था, देश प्रेम कूट कूटकर भरा हुआ था। उन्होंने कई जगह स्वयंसेवक दल के संगठन बनाये तथा राष्ट्र भावना का प्रचार किया। ये स्वयं एक ऐसे योद्धा और शासक थे, जो बचपन से ही युद्ध कला एवम अस्त्र- शस्त्र में निपुण थे।


बीजापुर के शासक ने मराठों को अपने क्षेत्र से निकालने के लिए तथा शिवाजी महाराज को जीवित या मृत पकड़ने के लिए अफज़ल खान के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी थी, परंतु अफजल खान शिवाजी के बाघनख से स्वयं मारा गया। अफजल खां की मौत के बाद  बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने एक बार फिर शिवाजी के विरुद्ध अपनी विशाल सेना भेजी थी, पर शिवाजी की सेना के अद्भुत साहस और पराक्रम के सामने बीजापुर  की सेना बुरी तरह से पराजित हुई।


इसके साथ ही सिद्धी जोहर को भी शिवाजी महाराज ने अपने साहस और पराक्रम से पराजित किया।


छत्रपति शिवाजी ने कई युद्ध किए। सभी युद्धों में उनकी समयानुकूल कार्यप्रणाली एवं परिस्थिति के अनुसार चलने का गुण तथा गुरिल्ला युद्धनीति के कारण मुट्ठीभर सैनिकों के साथ बड़ी बड़ी मुगल सेना को धराशायी कर दिया। शिवाजी गुरिल्ला युद्ध के जनक माने जाते हैं,वे छिप कर दुश्मन पर आक्रमण करते थे, और शत्रु सेना को हानि पहुंचाते थे।


भारत में मुख्यतः नौसेना का जनक छत्रपति  शिवाजी महाराज को कहा जाता है। मध्ययुगीन भारत में शिवाजी पहले राजा थे, जिन्होंने नौसेना के महत्व को देखते हुए उसका निर्माण किया। शिवाजी द्वारा नौसैनिक शक्ति खड़ी करने के पीछे मुख्य लक्ष्य सिद्दीयों के साथ  अंग्रेजों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखना था। इसी कारण


समुद्र तट पर वर्चस्व से शिवाजी महाराज का साम्राज्य एक समुद्री शक्ति बन गया।


शिवाजी महाराज की पूर्वी सीमा उत्तर में बागलना को छूती थी और फिर दक्षिण की ओर नासिक एवम पूना जिलों के बीच से होती हुई एक अनिश्चित सीमा रेखा के साथ समस्त सतारा और कोल्हापुर के जिले के अधिकांश भाग को अपने में समेट लेती थी। पश्चिमी कर्नाटक के क्षेत्र बाद में सम्मिलित हुए। स्वराज्य का यह क्षेत्र तीन मुख्य भागों में विभाजित था- प्रथम पुणे से लेकर सल्हर तक का क्षेत्र, जिसमें उत्तरी कोंकण भी सम्मिलित था, पेशवा मोरोपंत पिंगले के नियंत्रण में था। द्वितीय उत्तरी कनारा तक दक्षिणी कोंकण का क्षेत्र अन्नाजी दत्तों के अधीन था। तृतीय दक्षिण देश के जिले, जिनमें सतारा से लेकर धारवाड़ और कोफाल का क्षेत्र था जो दत्ताजी पंत के नियंत्रण में थे।


6 जून 1674 में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ।


उन्होंने  महाराष्ट्र मे हिंदू राज्य की स्थापना की और छत्रपति कहलाये।


 


डॉ ममता भाटी


Box Press
  1. एक टिप्पणी जोड़ने वाले प्रथम बनिए......
टिप्पणी/ विचार लिखें...
NewsFeed