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भारत की प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसी : सीबीआई

Posted on : 07-February-2022 18:02:24 Writer : पवन सारस्वत मुकलावा ( कृषि एंव स्वंतत्र लेखक )


भारत की प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसी : सीबीआई

सभी देशों की अपनी एक जाँच एजेंसी होती है जो बड़े आपरधिक मामलों को सुलझाने का काम करती है। इसी तरह आपने समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में सीबीआई का नाम कई बार सुना होगा। और अपराधियों को इस डरते हुए भी देखा होगा सीबीआई हमारे भारत की प्रमुख जाँच एजेंसी है जो आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए मामलों की जाँच करती है। आपराधिक मामलों की जाँच के लिए और भी एजेंसियां है जैसे CID. लेकिन इनका कार्य क्षेत्र सीमित होता है। CBI पुरे देश-विदेश के मामलों में भारत सरकार की मदद करती है। इसका पूरा नाम केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो या सीबीआई  है जो भारत की प्रमुख केन्द्रीय जांच एजेंसी है जिसका गठन सन 1941 में स्पेशल पुलिस फोर्स के रुप में किया गया था। जो द्वितीय विश्व युद्ध के समय रिश्वत और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करती थी। लेकिन भारत की आजादी के बाद सीबीआई को प्रमुख केस सौंपे गए। जिसे इसने सफलतापूर्वक हल किए सीबीआई, कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख अन्वेषण पुलिस एजेंसी है। इंटरपोल के सदस्य-राष्ट्रों के अन्वेषण का समन्वयन करती है। भारत में कहीं भी अपराधों का अभियोजन करती है। सीबीआई भारत में मर्डर, किडनैपिंग और आंतकवाद से जुड़े मुद्दों के अलावा कई दूसरे तरह के अपराधों की जांच भी करती है। 1963 में गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव के माध्यम से स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट का नाम बदलकर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई कर दिया। इसके संस्थापक निदेशक डीपी कोहली थे। उन्होंने 1963 से 1968 तक अपनी सेवा प्रदान की। बाद के सालों में आर्थिक अपराधों के अलावा और अन्य अपराधों की जांच भी सीबीआई को दी जाने लगी। खासतौर पर धोखाधड़ी और अपराध के हाई प्रोफाइल मामलों की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को मिलने लगा। सीबीआई सक्षम और प्रभावी ढंग से काम कर सके इसके लिए 1987 में इसकी दो शाखाएं गठित की गईं। एक शाखा भ्रष्टाचार निरोधी (ऐंटि करप्शन) डिविजन और दूसरी स्पेशल क्राइम डिविजन थी। सीबीआई मुख्य रूप से आपराधिक मामलों में संपूर्ण रुप से अपनी भूमिका निभाती है। इस प्रकार है 1. सामान्य अपराध शाखा 2. आर्थिक अपराध शाखा। डीएसपीई अधिनियम के तहत सामान्य अपराध शाखा केन्द्र सरकार और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के उन कर्मचारियों की जाँच करती थी, जिनके बारे में यह संदेह होता था कि वे रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तथा आर्थिक अपराध शाखा आर्थिक/राजकोषीय नियमों के उल्लंघन के विभिन्न मामलों की जाँच करती थी। प्रतिभूति घोटाले से संबंधित मामलों और आर्थिक अपराधों में वृद्धि होने के कारण कार्य की अधिकता और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की वज़ह से 1994 में अलग से एक अपराध शाखा स्थापित की गई थी।

इसके अलावा आयात-निर्यात, विदेशी मुद्रा, पासपोर्ट आदि तथा ऐसे अन्य सम्बद्ध केंद्रीय कानूनों के उल्लंघन के मामलों की जाँच करने की शक्ति दी हुई है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में बेईमानी, धोखाधड़ी और गबन के उन गंभीर मामलों की भी जाँच कर सकती थी ।

कैसे की जाती है सीबीआई जांच की मांग : -

अगर कोई राज्य सरकार किसी आपराधिक मामले की जांच का सीबीआई से आग्रह करती है तो सीबीआई को पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है। इसके अलावा दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के मुताबिक, अगर राज्य या केंद्र सरकार सहमति की अधिसूचना जारी करती है तो सीबीआई मामले की जांच की जिम्मेदारी ले सकती है। भारत का सुप्रीम कोर्ट या राज्यों के हाई कोर्ट भी मामले की जांच का सीबीआई को आदेश दे सकते हैं। किसी राज्य में किसी अपराध से जुड़ी जांच के लिए उस राज्य के मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलना जरूरी है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना सीबीआई राज्य में जांच नहीं कर सकती। धारा-5 के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच का अधिकार दिया गया है, लेकिन इसी के साथ ही धारा-6 में साफ कहा गया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है। किंतु सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट जब निर्देश देता है कि एक विशेष मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए तो डीएसपीई अधिनियम के तहत किसी भी राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है. सन 1987 में सीबीआई को दो भागो में बांट दिया गया। इसे एंटी करप्शन डिवीजन और स्पेशल क्राइम डिवीजन में बांटा गया। 

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति : -

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक कमिटी करती है कमिटी में पीएम, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या उनके द्वारा सिफारिश किया गया सुप्रीम कोर्ट का कोई जज शामिल होते हैं।


: - पवन सारस्वत मुकलावा

 कृषि एंव स्वंतत्र लेखक

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