UPDATED:

Seema Sanghosh

सीमा सुरक्षा बल : हमारा रक्षक

Posted on : 29-January-2022 05:01:24 Writer : गरिमा तिवारी


सीमा सुरक्षा बल : हमारा रक्षक


सीमा सुरक्षा बल : हमारा रक्षक

अनेक वर्षों के संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ की भोर हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आई थी। हम स्वतंत्र तो हो गए परंतु इस स्वतंत्रता की राह इतनी आसान भी नहीं थी। पाकिस्तान के रूप में एक नया पड़ोसी मिला जो पड़ोसी कम शत्रु अधिक रहा। 

1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद यह अनुभव किया गया कि हमारी सीमा की सुरक्षा के लिए एक ऐसे संगठन की आवश्यकता है जिसका काम मात्र भारत भू की सीमा की सुरक्षा करना ही ना हो अपितु सीमावर्ती समस्याओं का हल निकालना भी हो,फलस्वरूप 1दिसंबर 1965 को 'सीमा सुरक्षा बल' का गठन हुआ और भारत की सीमाओं की सुरक्षा का उत्तरदायित्व सीमा सुरक्षा बल के हाथों में आ गया।

 यह एक विडम्बना ही है कि हममें से अधिकांश लोगों को यह भी मालूम नहीं कि हमारी सीमा पर पहरा सीमा सुरक्षा बल के जवान देते है या फिर भारतीय सेना के जवान? जो लोग सीमा पर डँटे रहते हैैं वे जानते हैं कि यह कितना कठोर काम है और 'सीमा सुरक्षा बल' इस हेतु दिन रात लगा रहता है।

 बंगाल,त्रिपुरा,असम,पंजाब और राजस्थान के कुछ भागों में तो सीमा पर लगी तारबंदी तक खेती होती है और लोगों का आना जाना बना रहता है। उसके बाद जो सीमा प्रारंभ होती है, वहाँ  दूर-  दूर तक न तो कोई इंसान दिखाई देता है और न ही कुछ और! 

उस एकांत में अकेले ही घंटो लगातार खड़े होकर 'सीमा  सुरक्षा बल' का जवान उस 'सरहद' नाम की सांँप की तरह रेंगती हुई काल्पनिक रेखा को सजगता से निहारता रहता है।  नितांत एकांत में इस तरह कभी तपती लू , कभी बारिश ,कभी आँधियों और कभी कंपकंपाती   ठण्ड  में अपने कर्तव्य पर डँटे रहना देना अत्यंत कठोर काम है।.

सीमा सुरक्षा के साथ - साथ हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या 'नक्सलवाद' भी है ,दुश्मन अगर सामने हो तो लड़ना आसान होता है मगर वार करने वाला घर के अन्दर का हो तो ये बहुत बड़ी परेशानी का कारण है। सीमा सुरक्षा बल के पूर्व में किए कार्य को देखते हुए भारत सरकार ने छतीसगढ़ , झारखण्ड और उड़ीसा में भी बल के जवानो को नियुक्त किया है और बल के जवान इस उत्तरदायित्व को भी पूर्ण रूपेण निभा रहे हैं।

   सीमा पर कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी देना बिल्कुल आसान नहीं है,हमारी नई पीढ़ी को ये मालूम होना चाहिए कि देश की सीमा किन हाथों में सुरक्षित है।

सीमा क्षेत्र के आस-पास काम कर रहे ग़ैर सरकारी संगठन इसमें बहुत महत्वपूर्ण काम कर सकते है। ये संगठन सीमा से सटे कस्बों, शहरों के स्कूल -कॉलेज के छात्र- छात्राओं को बॉर्डर का दौरा करवा सकते है,जिससे हमारी नई पौध को भी पता चले कि सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी किस तरह अपने कर्तव्यों को पूरा कर हमें सुरक्षा घेरे में रखते हैं।

ग़ैर सरकारी समाज सेवी संगठन सीमा सुरक्षा बल और  सरहद पर रहने वाले लोगों के बीच एक कड़ी का काम  भी सकते है, जिससे कि सीमा पर बसे लोगों और सीमा सुरक्षा बल  के बीच बेहतर समन्वय स्थापित  होगा और लोगों में सुरक्षा के साथ विश्वास की भावना भी पैदा होगी। सीमा पर बसे लोगों की  समस्याओं को ये संगठन बल के अधिकारियों तक बहुत आसानी पहुंँचा सकते  है और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इन समस्याओं को स्थानीय प्रशासन तक हालांकि सीमा सुरक्षा बल के स्थानीय अधिकारी इस काम को अपने स्तर पर अंजाम देते रहे हैं।

'जीवन पर्यन्त कर्तव्य' के ध्येय वाक्य को चरितार्थ करता बी एस एफ अर्थात सीमा सुरक्षा बल दिन प्रतिदिन कर्तव्य पथ पर अग्रगामी है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सीमाओं की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल के एक-एक प्रहरी को हमारा प्रणाम!


लेखिका - गरिमा तिवारी

Box Press
  1. एक टिप्पणी जोड़ने वाले प्रथम बनिए......
टिप्पणी/ विचार लिखें...
NewsFeed