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Posted on : 22-August-2021 17:08:23 Writer :
गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति की सीमा सुरक्षा पर रिपोर्ट
सीमा-सुरक्षा: क्षमता अभिवर्द्धन और संस्थाएं (203वीं रिपोर्ट)
राज्यसभा में प्रस्तुत 11 अप्रेल 2017
संसद की गृह मामलों की स्थायी समिति ने सीमा सुरक्षा पर अपनी रिपोर्ट 11 अप्रेल 2017 को राज्यसभा में प्रस्तुत की। इस समिति के अध्यक्ष पी.चिदम्बरम थे। इसके अलावा समिति में राज्यसभा व लोकसभा के सदस्य सम्मिलित थे।
रिपोर्ट में भारत के प्रत्येक पड़ोसी देश के साथ सीमा सुरक्षा हेतु किये जा रहे विभिन्न प्रयासों की गहन विवेचना की गयी। समिति ने गृह मंत्रालय व अन्य विभागों से विभिन्न आंकड़े एकत्रित किये। साथ ही समिति ने सीमा क्षेत्रों का स्वयं भी अवलोकन किया। समस्त अध्ययन के पश्चात् सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अनेक प्रभावी सुझाव भी दिये।
भारत-बांग्लादेश सीमा
भारत की सबसे लम्बी सीमा बांग्लादेश के साथ है। बांग्लादेश के साथ भारतीय सीमा 4096.7 किमी है। भारत के आसाम, पं. बंगाल, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय की सीमा बांग्लादेश से जुड़ी हुई है। पं.बंगाल की लगभग 2217 किमी. सीमा बांग्लादेश से मिलती है। बांग्लादेश के साथ 4096.7 किमी सीमा में से 3006.8 किमी सीमा की फेसिंग (बाड/तारबंदी) हो चुकी है। समिति के अनुसार सरकार का लक्ष्य मार्च 2019 तक शेष रही 1090.22 किमी सीमा की सुरक्षा फिजिकल या नाॅन फिजिकल बैरियर से करने की योजना थी। खुली सीमा में 423.34 किमी सीमा पर फेसिंग प्राकृतिक/भौगोलिक बाधाओं के कारण संभव नहीं है। अतः इनमें कैमरा, सेंसर, रडार, लेसर High Mast Light (HML) की व्यवस्था की जायें शेष खुली सीमा में जहां तारबन्दी शेष है वहां मात्र 21 किमी. में ही फेसिंग 17 महीने में हो पायी है। अतः इस प्रक्रिया को तीव्र करने की आवश्यकता है। बांग्लादेश की सीमा पर प्राकृतिक/भौगोलिक दुर्गमता के कारण तारबंदी या अन्य फिजिकल बैरियर संभव नहीं है तो वहाँ नाॅन फिजिकल बैरियर लगाये जाने पर समिति ने सहमति दर्शायी। परन्तु नाॅन फिजिकल बैरियर अभी परीक्षण अवस्था में है। समिति के अनुसार जब तक बांग्लादेश की खुली सीमा पर फिजिकल या नाॅन फिजिकल बैरियर की प्रभावी व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक वहाँ सुरक्षा बलों की संख्या में बढ़ोतरी की जाये और 24 घंटे निगरानी रखी जाये क्योंकि इस सीमा में कई क्षेत्र ऐसे है जहां Fake Indian Currency Note (FICN) और पशुओं की तस्करी काफी मात्रा में होती है। समिति द्वारा 2017 में रिपोर्ट सौपं जाने तक बांग्लादेश सीमा पर बाॅर्डर-आउट पोस्ट (BOP) की संख्या 1011 थी। भारत सरकार ने 509 BOP स्थापित करने का निर्णय लिया था। परंतु इसे बाद में घटाकर 422 कर दिया। इन 422 BOP में से 326 BOP भारत-बांग्लादेश अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थापित होने थे। इन 326 में से मा. 97 BOP ही स्थापित हो पाये है। समिति ने इस धीमी प्रगति पर चिंता जाहिर की। समिति का यह भी कहना था कि 509 से BOP घटाकर 422 करने के निर्णय का कोई आधार गृह मंत्रालय ने नहीं दिया है। अतः 509 BOP स्थापित करने का पूर्व का निर्णय ही अधिक सही है क्योंकि इससे दो BOP के मध्य दूरी 3.5 किमी हो जायेगी जो सीमा सुरक्षा की दृष्टि से अधिक सही है।
बांग्लादेश सीमा पर 148 गाँव फेसिंग लाइन के आगे है, जबकि 137 गाँव आंशिक रूप से फेसिंग लाइन के आगे है। गृह मंत्रालय इन गांवों को फेसिंग लाइन के आगे षिफ्ट करने की बजाए जहाँ तक संभव है फेसिंग लाइन को ही आगे षिफ्ट करने का विचार कर रहा है।
सरकार ने 2617.6 किमी फ्लडलाइटिंग का लक्ष्य रखा था, जिसमें से 2089 किमी फ्लडलाइटिंग पूरी हो चुकी है और शेष का कार्य प्रगति पर है। फ्लडलाइट के अभाव में तस्करों को अवैध गतिविधियों के संचालन का मौका मिलता है। अतः ये कार्य शीघ्रता से पूर्ण करना चाहिए।
सर्वाधिक पशु तस्करी बांग्लादेश से जुड़ी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से होती है। भारत बांग्लादेश, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से 150 यार्ड भीतर लगभग 300 गांव है। सीमा के अत्यन्त समीप होने के कारण गाँवों से पशु तस्करी बहुत सरल हो जाती है। भारत से प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख से 1.50 लाख तक पशु तस्करी के माध्यम से बांग्लादेश पहुंचाये जाते है। सीमा पार पशु तस्करी रोकने के लिए समिति ने सुझाव दिया कि सीमा से 15 किमी भीतर पशुओं के व्यापार और पशुओं के बड़े झुंडों के आने पर प्रतिबंध लगाया जाए। पशु तस्करी रोकने के लिए पं.बंगाल सरकार ने 1 सितम्बर 2003 को आदेश जारी कर सीमा से 8 किमी. के क्षेत्र में पशु-हाट पर प्रतिबंध लगा दिया था। परन्तु इस आदेश को क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है और अभी भी कई पशु हाट 8 किमी. की परिधि में चल रहे है।
BSF और अन्य सुरक्षा बल सीज (जब्त) किये गये पशुओं की निलामी कर देते है। इस संदर्भ में समिति का सुझाव था कि निलामी उन राज्यों में नहीं की जाये जो बांग्लादेश की सीमा से जुड़े हुए है और साथ ही निलामी में न्यूनतम मूल्य तय किया जायें। निलामी में भाग लेने वाले व्यक्तियों के पेन व आधार कार्ड की जानकारी सरकार को अपने पास रखनी चाहिए। जिन पशुओं की तस्करी होती है, उनमें से काफी संख्या में पशु दूसरे राज्यों से लाकर पं.बंगाल व आसाम की बांग्लादेश से लगती सीमा से बांग्लादेश भेजे जाते है। समिति के अनुसार पं.बंगाल और आसाम के पड़ौसी राज्यों की पुलिस व स्थानीय प्रषासन पशुओं के निकास को रोकने में विफल रहे है और कुछ सीमा तक मिलीभगत के कारण भी पशु तस्करी बढ़ी है।
भारत-पाकिस्तान सीमा
भारत पाकिस्तान की सीमा 3,323 किमी. है। इस सीमा पर 2063.06 किमी सीमा तारबंदी (फेसिंग) हेतु लक्षित की गयी जिसमें से 2003.06 किमी सीमा पर तारबंदी कर दी गयी है और 60 किमी तारबंदी कार्य ही शेष है। गुजरात में सीमा पर जलभराव (Water-logging) की समस्या के कारण तारबंदी संभव नहीं हो पा रही है। इस समस्या के हल हेतु गृह मंत्रालय ने विषेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्णय किया है, जिसमें संसदीय समिति ने सहमति जताई। उच्च स्तरीय समिति ऐसी उचित मूल्य (Cost effective) की नवीन तकनीकों का सुझाव देगी जो जलभराव और अन्य समस्याओं के कारण सीमा निगरानी में आ रही समस्याओं को हल कर सकेगी।
राजस्थान में थार मरूस्थल में रेत के टीले अपना स्थान परिवर्तित करते रहते है और इससे तारबंदी की उपयोगिता सीमित हो जाती है। इस संबंध में भी समिति ने विषेषज्ञ समूह गठित करने का सुझाव दिया है। समिति के अनुसार इस संदर्भ में अमेरिका-मेक्सिको सीमा प्रबंधन का अध्ययन किया जा सकता है क्योकि अमेरिका-मेक्सिको सीमा का एक भाग थार मरूस्थल के समान है और वहाँ अमेरिका नवीनतक तकनीकों का प्रयोग कर रहा है।
पाकिस्तान सीमा पर पंजाब में सड़क की बड़ी समस्या है। पंजाब सीमा पर 481.58 किमी लेटरल रोड़ (पाष्र्व सड़क) और 219.45 किमी. एक्षियल रोड़ (अक्षीय सड़क) के निर्माण की आवष्यकता है। एक्षियल रोड़ BOP को लेटरल रोड़ से जोड़ेगी। जम्मू में प्रत्येक मौसम में बने रहने वाली सड़कों की आवष्यकता है ताकि BOP तक पहुंच सरल हो जाये। जम्मू में 179 किमी क्षेत्र मे मेटल रोड़, मिट्टी बांध, नाका-मचान और बंकर को सुदृढ़ करने पर समिति ने बल दिया ताकि उग्रवाद और घुसपैठ पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सके।
वर्तमान में पाकिस्तान सीमा पर 656 BOP है। सरकार ने 126 और BOP स्थापित करने का लक्ष्य तय किया था। जिसमें 38 जम्मू में होंगे। सरकार ने लक्ष्य 126 से घटाकर 96 कर दिया। समिति ने BOP के मध्य 3.5 किमी की दूरी रखने पर बल दिया इस हेतु अधिक BOP की आवश्यकता होगी।
फ्लड लाइट 2043.76 किमी के लिए स्वीकृत हुई थी जिसमें से 1943.76 किमी कार्य पूर्ण हुआ है। समिति के अनुसार 118 किमी. फ्लड लाइट नाॅन फक्शनल है। जिसे शीघ्र सही करने की आवश्यकता है।
भारत-चीन सीमा
भारत-चीन सीमा 3488 किमी. लम्बी है। चीन सीमा पर द्रुतगति से विभिन्न अवसंरचनाओं का निर्माण कर रहा है। चीन की अपेक्षा भारत की सीमा पर अवसंरचना निर्माण का कार्य काफी धीमा है। सरकार ने चीन सीमा पर 73 सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इसमें से फेज-1 में 27 सड़कों का निर्माण होना है। जिनकी लम्बाई 804 किमी. होगी। इसमें से 8 सड़कों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है और शेष को पूर्ण करने का लक्ष्य मार्च 2019 तक रखा गया था। फेज-प्प् में 1032 किमी लम्बी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
चीन सीमा पर BOP काफी ऊँचाई पर है। BOP औसतन 9000 फीट ऊंचाई पर है। 81 BOP 12000 किमी की ऊंचाई पर है, जबकि 20 ठव्च् 15000 फीट की ऊंचाई पर है। इस संदर्भ में सैनिकों की समस्याओं को देखते हुए सैनिकों के रहने के लिए ऊंचाई पर स्थित BOP के पास ही परमानेंट इटीग्रेटेड बिल्डिंग का निर्माण भी किया जा रहा है।
समिति ने चीन सीमा पर और अधिक हैलीपेड बनाने और ITBP के लिए एयरविंग बनाने का सुझाव दिया है।
भारत-नेपाल सीमा
नेपाल सीमा पर 1377 किमी लम्बाई सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसमें 173 किमी सड़क उतराखण्ड, 640 किमी. उत्तरप्रदेष और 564 किमी. सड़क बिहार में निर्मित होगी। परन्तु भूमि अधिग्रहण और वन मंत्रालय की अनुमति में देरी के कारण सड़क निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस पर समिति ने चिंता जाहिर की है। यहाँ की सीमा पर 473 BOP है। सशस्त्र सीमा बल की 31 बटालियन तैनात है। सरकार सशस्त्र सीमा बल की 32 नयी बटालियन का गठन कर रही है। इनमें से 18 आॅपरेशनल व 14 रिजर्व बटालियन होगी। 18 आॅपरेशनल बटालियन में से 9 को नेपाल सीमा पर तैनात किया जायेगा।
भारत-भूटान सीमा
भारत भूटान सीमा पर 313 किमी लम्बी सड़क का निर्माण करने की योजना है जो भूमि अधिग्रहण की समस्याओं और वन व पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के अभाव में अटकी हुई है। भूटान सीमा के पिलर नं. 150 से 174 तक 35.90 किमी लम्बी फेसिंग करने का भी निर्णय लिया गया है। भूटान सीमा पर 153 BOP है।
भारत-म्यांमार सीमा
भारत म्यांमार सीमा पर 4585 किमी सड़क निर्माण की योजना है। 113 हेलीपेड बनाने का भी निर्णय लिया गया है। भारत-म्यांमार सीमा पर उग्रवादी समूह काफी सक्रिय है। इस हेतु सीमा पर फेसिंग (तारबंदी) का निर्णय लिया गया है। परन्तु फेसिंग हेतु पुनसर्वेक्षण में काफी विलम्ब हो रहा है। समिति ने इस संदर्भ में गृह मंत्रालय को विदेश मंत्रालय से बात कर पुनः सर्वेक्षण यथाशीघ्र पूर्ण करने पर बल दिया है। भारत-म्यांमार सीमा पर फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) की भी व्यवस्था है। इसके अन्तर्गत दोनों ओर से लोग सीमा पार कर 16 किमी तक आ जा सकते है। परन्तु FMR का दुरूपयोग राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा किया जा रहा है। FMR व्यवस्था का सही रूप से क्रियान्वयन सम्बन्धित राज्यों द्वारा नहीं किया जा रहा है। अतः समिति ने राज्यों को FMR व्यवस्था को दुरूस्त करने को कहा है।
म्यांमार सीमा पर निगरानी का जिम्मा अभी आसाम राइफल्स के पास है। असम राइफल्स द्वारा तैनात 15 बटालियन में से प्रत्येक बटालियन के पास 110 किमी सीमा की सुरक्षा का दायित्व है। जबकि ग्रुप आॅफ मिनिस्टर (GoM) की रिपोर्ट के अनुसार यह दायित्व 40 किमी से अधिक नहीं होना चाहिए। समिति का यह सुझाव भी था कि भारत म्यांमार सीमा की सुरक्षा के लिए एक अलग सुरक्षा बल की स्थापना की जानी चाहिए।
तटीय सुरक्षा
कोस्टल सिक्योरिटी स्कीम (CSS) का फेज-I 2005-06 में आरंभ हुआ। इसमें तटीय राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों हेतु 73 कोस्टल पुलिस स्टेशन, 97 चेक-पोस्ट, 58 आउटपोस्ट, 30 बैरेक, 204 इटरसेप्टर बोट आदि की व्यवस्था की गयी। CSS का फेज-II 2011 में आरंभ हुआ। इसमें 131 मेरिन पुलिस स्टेशन, 60 जेटी, 10 मेरिन आॅपरेशन सेंटर, 150 बोट, 75 विशेष बोट की व्यवस्था करने का प्रावधान है। परन्तु फेज-II पूरा नहीं होने पर समिति ने चिंता व्यक्त की। समिति के अनुसार कोस्टल पुलिस, इंडियन कोस्ट गार्ड, और इंडियन नेवी में परस्पर समन्वय का अभाव है। कोस्टगार्ड और कोस्टल पुलिस के लिए आधारभूत संरचनाओं के विकास की भी आवश्यकता है।
तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बायोमेट्रिक आइडेटिफिकेशन हेतु 65, 72, 523 NPR-ID कार्ड बांटे गये है। पशुपालन, डेयरी व मत्स्य विभाग ने 11, 52,146 मछुआरों को फिशरमेन आईडी कार्ड बांटे है। 20 मीटर से अधिक लम्बी नावों के लिए Automation Identification System (AIS) अनिवार्य है। परन्तु 20 मीटर से कम लम्बाई की नावों के लिए AIS अनिवार्य नहीं है। समिति के अनुसार यह तटीय सुरक्षा के लिए खतरा है। मंत्रालय ने इस संदर्भ में कहा है कि 20 मीटर से छोटी नाव के लिए ट्रेकिंग हेतु आवश्यक तकनीक स्थापित करने का परीक्षण कर लिया है और जल्द ही उसे नावों में स्थापित की जायेगी।
सुरक्षा हेतु संस्थागत तंत्र मजबूत करने हेतु अनुषंषाएँ
NATGRID का कार्य प्रभावी रूप से आरंभ नहीं होने पर समिति ने चिंता व्यक्त की NATGRID के आवंटित कोष का पूर्ण उपयोग नहीं होने, और NATGRID में पर्याप्त विषय व तकनीकी विशेषज्ञों की भर्ती न करने पर भी समिति ने चिंता व्यक्त की।
MAC – Multi Agency Center विभिन्न केन्द्रीय और राज्य की इन्टेलीजेंस सम्बन्धी जानकारी साझा करती है। परन्तु समिति के अनुसार राज्यों द्वारा MAC को दी जाने वाली इन्टेलीजेंस सम्बन्धी सूचना पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती है। इसे सुधारने की आवष्यकता है।
National Counter Terrorism Center (NCTC) की स्थापना का नोटिफिकेषन 2012 में जारी किया गया था, परन्तु अभी तक NCTC की स्थापना नहीं हो पायी है। समिति के अनुसार NIA, IB, MAC और NCTC जैसी विभिन्न संस्थाओं के विभिन्न कार्यो/आॅपरेषनों संचालन और सयोजन के लिए छब्ज्ब् जैसी संस्था की आवष्यकता है। विभिन्न राज्यों द्वारा संघीय प्रणाली के सम्बन्ध में उठाये गये विभिन्न मुद्दों के कारण NCTC की स्थापना में रूकावट आ गयी है।
सीमावर्ती क्षेत्रा में Fake–Currency को रोकने के लिए नवीन तकनीक पर आधारित मषीनों को सुरक्षा बलों को सौपने की आवश्यकता है।
पाकिस्तान से लगती सीमा विशेषकर पंजाब व जम्मू कश्मीर की सीमा से मादक पदार्थो की तस्करी एक बड़ी चुनौती बन गयी है। समिति के अनुसार फेसिंग के पार जो खेती करने जाते है वे लोग मादक पदार्थो की तस्करी का एक प्रमुख माध्यम है। इसके लिए समिति ने सुझाव दिया कि BSF अपनी प्रत्येक कम्पनी में 4-5 लोगों की एंटी ट्रेफिकिंग टीम का गठन करे जो किसानों के फेसिंग के पार खेती हेतु जाने पूर्व व खेती करके आने के बाद पूरे क्षेत्र की जांच करें।
पठानकोट, उरी, पम्पोर, बारामूला और नगरोटा में हुए आतंकी हमलों ने देष की इंटेलीजेंस की क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। समिति के अनुसार NIA को इंटेलीजंस की कमियों का पता लगाकर सीमा पर इंटेलीजेंस को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। समिति के अनुसार जमीन के अन्दर सुरंग बनाकर घुसपैठ के प्रयत्न बढ़ रहे है। सरकार को इसे रोकने के लिए प्रभावी रणनीति बनानी होगी। अन्यथा यह भविष्य में बहुत बड़ी समस्या बन सकती है।
समिति के अनुसार जवानों पर कार्य भार अधिक है और उन्हें 16-16 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। अतः जवानों की संख्या विभिन्न सुरक्षा बलों में बढ़ाई जाये और उनकी ड्युटी 4-4 घंटे की दो शिफ्ट से ज्यादा न हो।
BOP की खराब स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए समिति ने कहा कि भारत-पाकिस्तान व भारत-बांग्लादेश सीमा पर 1901 BOP में से 422 BOP ही ठीक है। कई BOP में पानी और बेरक की पर्याप्त सुविधा नहीं है।
वेतन के सम्बद्ध में सैन्य बलों और अद्र्ध सैन्य बलों के मध्य जो अन्तर है उससे केन्द्रीय अद्र्ध सैन्य बलों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। समिति ने अनुशंषा की है कि अद्र्ध सैन्य बलों का हार्ड एरिया भत्ता सैन्य बलों के समकक्ष किया जाये।
सीमा सुरक्षा बलों को चिकित्सा सुविधा Central Government Health Scheme (CGHS) के अन्तर्गत दी जाती है। परन्तु CGHS कई सीमावर्ती जिलों में लागू नहीं है। इसका खामियाजा सीमा सुरक्षा बलों को भुगतना पड़ता है। अतः सरकार को CGHS के अन्तर्गत सभी सीमावर्ती जिलों को शामिल करना चाहिए। सरकार को फ्रंटियर हेडक्वार्टर पर कम्पोजिट हाॅस्पीटल और सभी सेक्टर में यूनिट हाॅस्पीटल बनाने चाहिए।
बोर्डर एरिया डेवलेपमेन्ट प्रोग्राम (BADP) अपने उद्देष्यों को पूरा नहीं कर पाया है। पं. बंगाल और राजस्थान में सीमा क्षेत्रों व्यापक स्तर पर निरक्षरता और गरीबी है जबकि पंजाब व जम्मू-कश्मीर में आधारभूत संरचना और आवागमन एवं संचार साधनों का अभाव है। अतः सरकार को BADP का व्यापक इम्पेट-एसेसमंेट करना चाहिए।
सरकार सीमा पर फिजिकल बैरियर के स्थान पर तकनीक आधारित बैरियर पर बल दे रही है। समिति का मानना था कि Border Protection Grid (BPG)व्यवस्था को अपनाने से पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के BPG का व्यापक अध्ययन करना चाहिए।