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Posted on : 04-May-2021 13:05:20 Writer :
संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार की दूरगामी दृष्टि के परिणाम स्वरूप आज भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बिना किसी यश,गौरव,प्रसिद्धि की चाह रखे राष्ट्र हित के कार्यों में लगा हुआ है। संघ की चाहे है तो केवल यह “परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्,समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्.” इसका अर्थ है कि हे माँ भारती “तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा इसकी स्वयंसेवकों ने आजादी के समय की अहम भूमिका निभाई थी।
~आजाद भारत हेतु संघर्षरत कांग्रेश को पूर्ण समर्थन
भारत में चल रहे सभी
प्रकार के स्वतंत्रता आंदोलन
को देखते हुए डॉक्टर साहब ने निश्चय किया
की वे सभी कार्यक्रमों
में यथासंभव भागीदारी करेंगे। उनका यह निश्चय था
कि देश के शत्रुओं को
किसी भी मार्ग से
भारत भूमि से निकाला जा
सके इसी दृष्टिकोण से पूरित मानसिकता
के साथ डॉक्टर हेडगेवार ने भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस के नेतृत्व में
संचालित अहिंसा वादी आंदोलन में शामिल होने का निश्चय किया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में
कांग्रेस ने देशव्यापी स्वरूप
बना लिया। तब कांग्रेस में
महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक का बोलबाला था।
तब डॉ हेडगेवारजी ने
कांग्रेस के मंचों से
सांस्कृतिक राष्ट्र का जागरण का
कार्य बहुत सतर्कता एवं सक्रियता से प्रारंभ किया।
डॉक्टर साहब ने अपने कुछ
कांग्रेसी मित्रों को साथ लेकर
“नागपुर नेशनल यूनियन” की स्थापना की
इस संस्था ने अपनी जान
की बाजी लगा करें भारत को स्वतंत्र कराने
के प्रण को आगे बढ़ाया
था।
~असहयोग आंदोलन में अग्रणी भूमिका
नागपुर अधिवेशन के बाद महात्मा गांधी द्वारा मार्गदर्शक ऐसे होगा आंदोलन को सफल बनाने के लिए डॉ हेडगेवार तन मन धन से जुट गए। उस दौरान डॉ हेडगेवार के प्रचार और प्रखर भाषणों से घबराकर सरकार ने उनके भाषणों पर 1 महीने का प्रतिबंध लगा दिया अंग्रेजी सरकार उन्हें किसी न किसी बहाने से गिरफ्तार करना चाहती थी इसके बाद उनके दो भाषाओं को आपत्तिजनक मानकर डॉक्टर हेडगेवार पर मई 1921 में राजद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया गया। जिसके बाद उनको 1 वर्ष के कठोर कारावास की सजा हुई।
~ जब मनाया गया था संघ की शाखाओं में स्वतंत्रता दिवस
डॉ हेडगेवार संघ और स्वतंत्रता संग्राम , नामक लघुपुस्तिका में लेखक नरेंद्र सहगल ने इस बात का जिक्र किया है की 1885 में जब से भारत में ए.ओ.ह्यूम द्वारा गठित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1929 तक कभी भी भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की बात नहीं की। लेकिन दिसंबर 1929 में लाहौर में संपन्न ने कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। डॉ हेडगेवार ने पूर्ण स्वतंत्रता के इस प्रस्ताव का स्वागत किया। उन्होंने 26 जनवरी 1930 को देश के प्रत्येक प्रांत में स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले नेहरू के इस आदेश पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए समस्त देश में विशेषतोर से संघ की शाखाओं पर स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्देश दिया। कांग्रेस और संघ की शाखाओं पर स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्देश दिया कांग्रेस और संघ द्वारा देशभर में स्वतंत्रता दिवस आयोजित करने का निर्णय यह ऐतिहासिक निर्णय था।
~जब महात्मा गांधी आए थे संघ शिविर में-
प्रशंसा तथा प्रसिद्धि का लोभ मन
से त्याग कर संघ अपने
कार्यों में व्यस्त था। उन दिनों महात्मा
गांधी की कई दिनों
से संघ को जानने की
इच्छा प्रबल हुए जा रही थी।
वर्धा में संघ का शीत शिविर
चल रहा था, शिविर के दूसरे दिन
महात्मा गांधी प्रातः ठीक 6 बजे शिविर में आए। संघ में सभी जाति वर्ण के स्वयंसेवक होते
हैं ब्राह्मण और मराठा आदि
सभी जातियों के स्वयंसेवक एक
साथ मिलकर रहते हैं यह देखकर गांधी
जी ने बड़ा आश्चर्य
जताया,डॉक्टर हेडगेवार की अनुपस्थिति में
वहां पर श्री अप्पा
जी जोशी वहां उपस्थित थे गांधी जी
ने उनसे बड़े ही विनम्र भाव
से पूछा “आपने जातिभेद की भावना कैसे
मिटा दी इस कार्य
में अनेकों संगठन,संस्थाएं कार्यरत है फिर भी
लोगों के मन में
भेदभाव तो रहता ही
है यह कार्य इतनी
सरलता से कैसे किया”
तब अप्पा जी ने उत्तर
दिया “सब हिंदुओं में
भाई भाई का संबंध है
यह भाव जागृत होने से सब भेदभाव
नष्ट हो जाते हैं
इसका संपूर्ण श्रेय संघ के संस्थापक डॉ
हेडगेवार जी को है।”
उसके बाद सितंबर 1947 को भारत विभाजन
के बाद गांधी जी ने संघ
की शाखा में जाने की फिर से
इच्छा जताई। यह समाचार तत्कालीन
सरसंघचालक श्रीगुरु जी को प्राप्त
हुआ तो वे तुरंत
दिल्ली के बिड़ला भवन
पहुंचे। जिसके बाद उन्होंने गांधी जी से भेंट
की और संघ कार्य
के बारे में विस्तृत रूप से बताया। 16 सितंबर
1947 को गांधी जी ने भंगी
कॉलोनी के मैदान में
लगभग 500 स्वयंसेवकों को उद्बोधन दिया
और संघ कार्य की प्रशंसा की,
यह समाचार उस समय के
समाचार पत्रों में भी छपा था।