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Seema Sanghosh

सीमा संघोष परिचय

Posted on : 13-June-2021 08:06:13 Writer :


सीमा संघोष परिचय

सीमा जागरण मंच मुखपत्र सीमा संघोष देश की सीमाओं के प्रतिसीमा प्रहरियों  के प्रतिसीमान्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के प्रति आम जनमानस में एक आदर और सत्कार का भाव जगाने का एक प्रयास है।

सीमा जागरण मंच के राष्ट्र रक्षा रूपी यज्ञ में सीमा संघोष कलम रूपी आहुति है जो देश की आंतरिक सुरक्षा ,बाह्य सुरक्षा  और सीमा सुरक्षा से जुड़े विषयों पर सटीक जानकारी सभी देशवासियों तक पहुंचाने का कार्य करती है। देश की सुरक्षा केवल सीमा पर खड़े हुए प्रहरियों की जिम्मेदारी नही है अपितु देश का प्रत्येक नागरिक भी देश की सुरक्षा के लिए बराबर का जिम्मेदार हैसीमा प्रहरियों के प्रति देश के लोगों में जन जागृति करने का काम यह पत्रिका करती है।

सीमा संघोष अपने नाम के अनुरूप ही अपने उद्देश्य को परिलक्षित करता है। जैसे कहा जाता हैंजहां  पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि ठीक       यही कार्य सीमा संघोष करता है।

भारत जैसे विशाल देश में सबसे कम जाना जाने वाला परन्तु सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला अगर कोई भूभाग हैतो वह है, देश की सीमाएं वहाँ के स्थानीय निवासीवहाँ तैनात सैन्य बलवहाँ के गॉववहाँ की नदियांवहाँ के पर्वतवहाँ के रेगिस्तान। ये सब अपने समूचे देशवासियों को कुछ बताना चाहते हैंअपनी अलौकिकता के बारे मेंअपनी रमणीयता के बारे मेंअपने चट्टान जैसे साहसअपनी नदी रूपी माधुर्यअपने वन रूपी हरियाली यह सब दिखाना भी चाहते हैं। साथ ही साथ आगाह करना चाहते हैंवीरान होते गांव के बारे मेंसरहद पर होती घुसपैठ के बारे मेंदुश्मनों के कुटिल चालों के बारे मेंअवैध तस्करीयों के बारे मेंऔर लंबे समय तक हुए अपनी उपेक्षा के बारे में।

सीमा संघोष इन सब की आवाज हैजो इस समूचे देश तथा देशवासियों को वास्तविकता से परिचित कराने का कार्य करता है। देश तथा देशवासियों में सीमाओं तथा सीमाजनों के प्रति जनजागृति पैदा करना ही सीमा संघोष का प्रमुख उद्देश्य है। सीमा संघोष देशवासियों के समक्ष सीमाओं की रणनीतिकआर्थिकसामाजिक राजनीतिक तथा सबसे बढ़कर सामरिक महत्व को  सिर्फ लिपिबद्ध करता हैअपितु देश के हर वर्ग को अपनी सीमाओं तथा सीमाजनों के साथ एक ऐसे धागे में पिरोने का कार्य करता हैजिसको पितामह भीष्म के कहे इस वाक्य से समझा जा सकता है जिसमें पितामह ने कहा है कि; "सीमाएं माता के  वस्त्रों के समान होती हैंइनकी रक्षा करना हर पुत्र का कर्तव्य है"

सीमा संघोष देश की सीमाओं तथा देशवासियों के बीच उस संबंध को स्थापित करने का प्रयास करता हैजिससे भारत अपनी सीमाओं तथा सीमाजनों को सक्षमसशक्त तथा आत्मनिर्भर बना सके। सीमा संघोष एक हुंकार है सीमा पर होते नए बदलावों कासीमा तथा सीमाजनों के प्रति जनजागृति के अभियान कायह कृतज्ञ है हर उस बलिदान का जो सीमाओं की रक्षा में हुएयह परिचायक है उसी बलिदान के भाव कायह द्योतक है संसाधन विहीन सीमाजनों कायह नाद है सशक्त सीमा कायह जयघोष है समर्थ होते भारत के सुरक्षित तथा समृद्ध होती सीमाओं का।

 

जय हिन्द

जय सीमा संघोष

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